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About us

A foundation whole heartedly standing with our soldiers and their families

The flame that is lighted in the sky with which the Ravi-Shashi Jyoti is lit is formed in the stars, which we will buy today by giving a cool light.

These lines of Mahadevi Varma echo the readiness and enthusiasm of our security forces who are battling in the chilling winter of Siachen, torrid sands of Jaisalmer, deep forests of Assam, swamps of the Sundarbans, and depths of the Pacific and the Indian Ocean. Every day of the year and every minute of the day someone is standing watchful in these extreme conditions, without fatigue, without complaining, and without the facilities that come easy to us.

Dear brothers and sisters, even in such adverse conditions, every soldier stands alert in front of every crisis facing the nation to ensure the nation's safety. Border Security Force, the Indo-Tibetan Border Police, the CISF, the CRPF, the Assam Rifles, and the NSG are working side by side with our main armed forces. Aside from securing our borders, they are dealing with situations such as natural disasters, earthquakes, riots, Naxal-affected areas, and terrorist attacks within the country, and on occasion, make supreme sacrifices without any hindrance.

Brothers and sisters, the "nation" for which a soldier or a young man of the security force gladly makes supreme sacrifice, that "nation" is not merely a map made on paper, a flag made of some color, a part of the earth or a chapter of geography. A nation is a birthplace, the land of work, and the soul and self-pride of those who live there. The pride for which a soldier embraces martyrdom.

The existence of any "nation" is associated with the patriotism of its citizens. The two wheels on which the axis of "patriotism" rotates are contributions and sacrifices. Our soldiers and soldiers of the security forces are making "sacrifices" every day, without any hesitation, for the security and integrity of the nation. They don't think about who would take their old parents to the hospital after them, what the future of their children would be without them, and who would be responsible for the social and economic security of their families.

Our "contribution", and support in relation to their "sacrifice" for the nation becomes inevitable and expected. This is where our responsibility begins. This responsibility and contribution cannot be mere economic support. It is a national, social, and moral responsibility, a redemption. This is a "Naman" — a salute arising every moment from every ounce of the nation for soldiers who made supreme sacrifice.

This is what "Shaurya Naman" is. A feeling, an idea, an effort, an organization, that has come into existence to contribute to the military, security forces, and their families for their contribution.

It is an organization formed voluntarily by individuals dedicated to settling the widows of the needy martyred soldiers of the armed and parliamentary forces at their place of choice. Places where they can live within the economic and geographical periphery of the medical facilities.

The organization suggests and provides employment options that are necessary for the survival of a soldier after retirement.

Shaurya Naman ”aims to ensure that war-torn workers become productive citizens by participating in the economic development of the nation. Also, they should be able to supplement their pension, including disability pension.

Social empowerment and skill development of dependents of military personnel are also one of the primary objectives of "Shaurya Naman".

Shaurya Naman "supports official welfare efforts within the Army and equally focuses on the welfare of families, children, and widows from all ranks of the army and security forces who lost their lives while fighting bravely for the nation. The Trust also provides facilities for martyrs' children in regard to education, family health, and other basic needs.

Shaurya Naman" also sends gifts on behalf of the nation to the families of martyred soldiers on major festivals.

"Shaurya Naman" strives to facilitate the provision of housing units by promoting housing schemes in almost all cities across the country as per the requirements of military personnel and their families.

Shaurya Naman is also striving for the medical welfare of military personnel who have been disabled or physically incapacitated while serving the nation.

Brothers and sisters, "Shaurya Naman" is an initiative to pay tribute to the brave who put their lives on the first line of duty. "Shaurya Naman" is committed to creating a more secure and sustainable future for the families of soldiers/military personnel who have become incapable of serving the country, and ensuring the needs and rights of these families with government and social support.

 Every small "contribution" you make to the organization in whatever way is appreciated. "Shaurya Naman" is only a means to convey our feelings to the families whose masters have made supreme sacrifices in national defense.

This is an initiative by all of us to pay tribute to those brave people who gave more importance to our safety and life than theirs.

In addition to the above all, the primary objective behind "Shaurya Naman" is to underline the imperativeness of "contribution" in society with respect to "sacrifice". It is to make you aware of your responsibilities: "contribution".

Along with "Shaurya Naman", you can also present your "contribution" to the National Defense Fund, which has been set up by the Government of India to promote national defense efforts.

जो ज्वाला नभ में बिजली है जिससे रवि-शशि ज्योति जली है तारों में बन जाती जो शीतलतादायक उजियाला मस्तक देकर आज खरीदेंगे हम वो ही ज्वाला

महादेवी वर्मा की ये पंक्तियां प्रतिध्वनि हैं हमारे सेनाओं की तत्परता और उनके उमंग की, जो हिलोरें मारती हैं सियाचिन की हाड-कंपा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमेर की तपती रेत, आसाम के गहरे जंगलों, सुंदरवन के दलदल से होती हुई हिन्द और प्रशांत महासागरों की गहराइयों तक । कल्पना करके देखिए कि साल कि हर दिन और दिन कि हर मिनट कोई इन सभी जगहों पर चौकन्ना खड़ा है, बिना थकान, बिना शिकायत और बिना उन सहूलियतों के जिनके बग़ैर हम जीवन की कल्पना तक में हिचकिचाएं ।

भाइयों-बहनों, ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी चौकन्ना खड़ा और राष्ट्र पे आने वाले हर संकट के सामने अड़ा हर सैनिक एक आश्वासन होता है कि राष्ट्र सुरक्षित है । सेनाओं के कंधे-से-कंधा मिलाकर चलने वाले सीमा सुरक्षा बल, इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आसाम राइफल्स, और एनएसजी हमारे प्रमुख सशस्त्र-बल हैं । जो कि सीमाओं के साथ-साथ देश के भीतर बढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लेकर दंगों, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और आतंकी हमलों जैसी स्थितियों से निपटते हैं और अवसर आने पर क्षणांश भी बिना ठिठके सर्वोच्च बलिदान कर जाते हैं ।

भाइयों-बहनों, जिस "राष्ट्र" के लिए एक सैनिक या सुरक्षा बल का जवान सहर्ष अपना सर्वोच्च बलिदान करता है, वह "राष्ट्र" मात्र कागज़ पे बना मानचित्र नहीं होता, वह कुछ रंगों से बना झंडा, धरती का एक अंश या भूगोल का एक अध्याय मात्र नहीं होता । वह होता है जन्मभूमि, कर्मभूमि, वह आत्मा और आत्म-गौरव होता है वहां रहने वालों का । जिस गौरव के गौरव के लिए शहीद होता है एक सैनिक..एक जवान ।

किसी भी "राष्ट्र" का अस्तित्व वहां के नागरिकों की राष्ट्रभक्ति से संबद्ध होता है और "राष्ट्रभक्ति" की धुरी जिन दो पहियों पर घूमती है, वे हैं योगदान और बलिदान । राष्ट्र की सुरक्षा और अक्षुणता के लिए "बलिदान" तो हमारे सैनिक और सुरक्षा बलों के जवान हर दिन, बिना ठिठके कर रहे हैं । बिना यह सोचे कि उनके पीछे उनके बूढ़े माता-पिता की अस्पताल कौन ले जाएगा, बिना यह सोचे कि उनके बिना उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा, बिना ये सोचे कि उनके परिवारों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का उत्तरदायी कौन होगा वे अपना जीवन बलिदान कर जाते हैं ।

ठीक यहीं, "राष्ट्र" के लिए उनके "बलिदान" के सापेक्ष हमारा "योगदान" अनिवार्य और अपेक्षित हो उठता है । ठीक यहीं हमारा उत्तरदायित्व आरंभ होता है । यह उत्तरदायित्व और योगदान मात्र एक आर्थिक-आह्वान नहीं हो सकता । यह तो एक राष्ट्रीय, सामाजिक और नैतिक ज़िम्मेदारी होता है, प्रतिदान होता है । ये होता है राष्ट्र के हर कण से हर क्षण उठता एक "नमन" । मातृभूमि पर प्राणोत्सर्ग कर जाने वाले सैनिक और सुरक्षा बल के जवान को, उसके "शौर्य" को… …यही है "शौर्य नमन" । सेना, सुरक्षा-बलों और उनके परिवारों के बलिदाओं के प्रति योगदान के बोध से आकार लेती एक भावना, एक विचार, एक प्रयास, एक संगठन ।

यह उन व्यक्तियों द्वारा स्वेच्छा से निर्मित एक संगठन है जो सशस्त्र और संसदीय बलों की जरूरतमंद शहीद सैनिकों की विधवाओं को उनकी पसंद की जगह पर बसने के लिए समर्पित है । जो उन्हें उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं की आर्थिक और भौगोलिक परिधि में रहने का अवसर देता है। यह उन्हें रोजगार के विकल्प सुझाता एवं उपलब्ध कराता है जो सेवानिवृत्ति के बाद सैनिक या जवान के जीवन-यापन के लिए आवश्यक हैं।

"शौर्य नमन" का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि युद्ध के घायल कर्मचारी राष्ट्र के आर्थिक विकास में भाग लेकर उत्पादक नागरिक बनें। साथ ही वे अपनी पेंशन को पूरक करने में सक्षम होना चाहिए, जिसमें विकलांगता पेंशन भी शामिल हो ।

सामाजिक सशक्तीकरण और सैन्यकर्मियों के आश्रितों का कौशल-विकास भी "शौर्य नमन" के प्राथमिक उद्देश्यों में से एक है ।

"शौर्य नमन" सेना के भीतर आधिकारिक कल्याणकारी प्रयासों का समर्थन करता है तथा समान रूप से सेना के सभी रैंकों तथा विशेष रूप से अन्य सैन्य बलों के परिवारों, बच्चों और विधवाओं के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करता है। जिन्होंने राष्ट्र के लिए बहादुरी से लड़ते हुए अपनी जान गंवाई । यह ट्रस्ट शहीद के बच्चों की शिक्षा, परिवार के स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं के लिए सहूलियतें भी प्रदान करता है।

"शौर्य नमन" प्रमुख त्योहारों पर राष्ट्र की ओर से प्रेम के प्रतीक के रूप में शहीद सैन्यकर्मियों के परिवारों को उपहार भी भेजता है।

"शौर्य नमन" सैन्यकर्मियों और उनके परिवारों की आवश्यकताओं के अनुसार पूरे देश के लगभग सभी शहरों में आवासीय योजनाओं को बढ़ावा देकर आवासीय इकाइयों के प्रावधानों को सुविधाजनक बनाने को प्रयासशील है ।

"शौर्य नमन" उन सैन्यकर्मियों के चिकित्सकीय कल्याण के प्रति भी प्रयासरत है जो राष्ट्र की सेवा करते हुए विकलांग अथवा शारिरिक रूप से असमर्थ हो चुके हैं ।

भाइयों-बहनों "शौर्य नमन" उन बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक पहल है, जिन्होंने अपने जीवन को कर्तव्य की प्रथम पंक्ति पर रखा। देश की सेवा में शहीद अथवा शारिरिक रूप से असमर्थ हो गए जवानों/सैन्यकर्मियों के परिवारों के लिए अधिक सुरक्षित और स्थायी भविष्य का निर्माण करने, इन परिवारों की जरूरतों और अधिकारों को सरकारी तथा समाजिक सहायता से सुनिश्चित करने के प्रति "शौर्य नमन" प्रतिपल प्रतिबद्ध है ।

इस भावना, विचार, प्रयास, संगठन में आपके द्वारा किए जाने वाले हर छोटे-से-छोटे "योगदान" का भी अभिनन्दन है । "शौर्य नमन" मात्र एक माध्यम है अपनी भावना उन परिवारों तक पहुंचाने का, जिनके कर्णधार राष्ट्र-रक्षा में सर्वोच्च-बलिदान कर गए हैं ।

यह हम सभी के द्वारा उन बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने की एक पहल है, जिन्होंने अपनी सुरक्षा और जीवन से अधिक महत्व हमारी सुरक्षा और जीवन को दिया ।

भाईयों-बहनों, उक्त समस्त के अतिरिक्त "शौर्य नमन" का प्रमुख समाज में "बलिदान" के सापेक्ष "योगदान" की अनिवार्यता को रेखांकित करना है । आपके "योगदान" के प्रति आपको जागरूक करना है ।

यदि आप चाहें तो "शौर्य नमन" के साथ-ही आप राष्ट्रीय रक्षा कोष में भी अपना "योगदान" प्रस्तुत कर सकते हैं, जो कि राष्ट्रीय रक्षा प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित किये गये है।

।। वंदे मातरम ।।

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